June 23, 2025

AMIT REKHA

अमिट रेखा :- सदा सच के साथ:-गोरक्षनगरी से प्रकाशित

गोरखपुर के इन खूबसूरत स्थानों पर खुलकर मना सकते हैं नया साल जहां घूमकर नहीं भरेगा आपका मन

अमिट रेखा सत्य प्रकाश यादव

ब्यूरो गोरखपुर
पूरे विश्व को नए साल 2021 से बहुत उम्मीदें हैं। साल 2020 कोरोना के कारण पूरा फीका हो गया। ऐसे में लोग 2021 का स्वागत बड़े धूमधाम से करना चाह रहे हैं। यूपी का गोरखपुर शहर अन्य शहरों के मुकाबले छोटा लेकिन यहां घूमने और समय बिताने के लिए कई ऐसे स्थान हैं। इस नए साल में आप अपने परिवार के साथ यहां आकर अच्छा दिन बिता सकते हैं। आज हम आपको गोरखपुर के खास पांच स्थानों के बारे में बताने जा रहे हैं। गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर में साल के 12 महीने श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से गोरखनाथ मंदिर पर्यटन का प्रमुख केंद्र है। यूपी, बिहार, उत्तराखंड सहित कई राज्यों के लोग गोरखनाथ मंदिर आते हैं। नेपाल में भी गुरु गोरखनाथ पूजे जाते हैं। नेपाल के राजा की खिचड़ी अब भी चढ़ती है। मकर संक्रांति पर पांच-छह लाख श्रद्धालु पूजा-पाठ करते हैं। गोरखनाथ मंदिर की भव्यता दूर से ही दिखती है। भीम सरोवर के साथ लाइट एंड साउंड शो यहां का आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। गोरखपुर वासियों के राममढ़ताल मुंबई के जुहू चौपाटी से कम नहीं है। यह शहर के दक्षिण-पूर्वी छोर पर 1700 एकड़ क्षेत्र में फैला रामगढ़ताल प्रकृति की अनुपम भेंट है। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में गोरखपुर का नाम रामग्राम था। यहां कोलीय गणराज्य स्थापित था। उन दिनों राप्ती नदी आज के रामगढ़ताल से ही होकर गुजरती थी। बाद में राप्ती नदी की दिशा बदली तो उसके अवशेष से रामगढ़ताल अस्तित्व में आ गया। रामगढ़ ताल पूर्वांचल का मरीन ड्राइव बन चुका है। इसकी छटा देखने के लिए दूर-दूराज से पर्यटक आते हैं। लाइट एंड साउंड शो के साथ शाम ढलते ही ताल का नजारा अद्भुत होता है। नौकायन व वाटर स्पोर्ट्स ने इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा दिया है। नया साल मनाने के लिए यह स्थान बहुत ही शानदार है। गोरखपुर की सुंदरता बिना गीता प्रेस के अधूरी है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों और पुस्तकों को प्रकाशित करने का दुनिया का सबसे प्रमुख केंद्र गीता प्रेस है। 1923 में जया दयाल गोयंदका और घनश्याम दास जालान ने गीता प्रेस की नींव रखी थी। पवित्र गीता और इसकी व्याख्याओं, पवित्र महाकाव्य रामायण, महाभारत, पुराण, उपनिषद, विभिन्न संतों और गुरुओं की रचनाओं को प्रकाशित किया। इन सभी का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। कल्याण व कल्पतरू जैसी मासिक पत्रिकाएं भी प्रकाशित की जा रही हैं। पर्यटक हिंदू धर्म की सभी धार्मिक पुस्तकें, ग्रंथ आदि देख सकते हैं और खरीद भी सकते हैं। यहां दिवारों पर ही आप पूरी महाभारत और रामायण देख सकते हैं। नए साल में यहां आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।गोरखपुर शहर के बीच में स्थित रेल म्यूजियम में पूर्वोत्तर रेलवे का पहला इंजन लार्ड लारेंस लोगों को आकर्षित करता है। इस इंजन का निर्माण लंदन में 1874 में डब्स कंपनी ने की थी। लंदन से इंजन को बड़ी नाव से कोलकाता तक लाया गया था। लार्ड लारेंस को देश की पहली रेलगाड़ी खींचने वाले इंजन लार्ड फॉकलैंड का यंगर सिब्लिंग कहा जाता है। म्यूजियम में नैरो गेज डीजल इंजन भी लोगों को आकर्षित करता है। इस इंजन का निर्माण 1981 में चितरंजन में हुआ था। 20 टन क्षमता का ट्रेवलिंग स्टीम क्रेन को भी लोग निहारना नहीं भूलते हैं। इस क्रेन का निर्माण इटली में हुआ था। ओफिसियन मिकानिका ई फोंडी नावाल मिकानिका नेपल्स कंपनी ने वर्ष 1958 में इसका निर्माण किया था। इस प्रकार के क्रेनों का उपयोग रेलवे ट्रैक पर भारी सामानों को उठाने व ट्रैक अवरोधों को हटाने में होता था। नए साल में परिवार के साथ यहां पूरा दिन आसानी से बिताया जा सकता है।

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