September 7, 2024

राजकीय विद्यालय में बाल विवाह मुक्त कार्यक्रम का हुआ आयोजन

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अमिट रेखा/आर.एन.पांडेय

तमकुहीराज/कुशीनगर। कुशीनगर जनपद के तमकुही राज तहसील अंतर्गत सेवरही विकास खंड के सरया खुर्द ग्राम के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में बाल विवाह मुक्त कार्यक्रम का हुआ आयोजन। आयोजन में विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक विकास चंद्र कनौजिया ने बाल विवाह पर विद्यालय के छात्र एवं छात्राओं को विस्तृत जानकारी तथा उससे होने वाले हानि के बारे में बताया तथा साथ ही उन्होंने बाल विवाह न करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने बताया कि
बाल विवाह बच्‍चों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है जिससे उन पर हिंसा, शोषण तथा यौन शोषण का खतरा बना रहता है। बाल विवाह लड़कियों और लड़कों दोनों पर असर डालता है, लेकिन इसका प्रभाव लड़कियों पर अधिक पड़ता है।
किसी लड़की या लड़के की शादी 18 साल की उम्र से पहले होना बाल विवाह कहलाता है। बाल विवाह में औपचारिक विवाह तथा अनौपचारिक संबंध भी आते हैं, जहां 18 साल से कम उम्र के बच्‍चे शादीशुदा जोड़े की तरह रहते हैं।
बाल विवाह, बचपन खत्‍म कर देता है। बाल विवाह बच्‍चों की शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और संरक्षण पर नकारात्‍मक प्रभाव डालता है। बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर, बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी होता हैं।
जिस लड़की की शादी कम उम्र में हो जाती है, उसके स्‍कूल से निकल जाने की संभावना बढ़ जाती है तथा उसके कमाने और समुदाय में योगदान देने की क्षमता कम हो जाती है। उसे घरेलू हिंसा तथा एचआईवी / एड्स का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है। खुद नाबालिग होते हुए भीउसकी बच्‍चे पैदा करने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्‍था और प्रसव के दौरान गंभीर समस्‍याओं के कारण अक्‍सर नाबालिग लड़कियों की मृत्यु भी हो जाती हैं।
अनुमानित तौर पर भारत में प्रत्‍येक वर्ष, 18 साल से कम उम्र में करीब 15 लाख लड़कियों की शादी होती है जिसके कारण भारत में दुनिया की सबसे अधिक बाल वधुओं की संख्या है, जो विश्व की कुल संख्या का तीसरा भाग है। 15 से 19 साल की उम्र की लगभग 16 प्रतिशत लड़कियां शादीशुदा हैं।
हालांकि साल 2005-2006 से 2015-2016 के दौरान 18 साल से पहले शादी करने वाली लड़कियों की संख्‍या 47 प्रतिशत से घटकर 27 प्रतिशत रह गई है, पर यह अभी भी अत्याधिक है।
भारत में बाल विवाह में आई कमी की वजह से दुनियाभर में इस प्रथा के चलन में भी गिरावट आई है। यह कमी कई कारणों से हो सकती हैं जैसे अधिक माताओं का साक्षर होना, लड़कियों को शिक्षा के बेहतर अवसर मिलना, सरकार के सख्‍त कानून और गांव के लोगों का शहरों की तरफ पलायन। लड़कियों की शिक्षा में तेजी से बढ़ोतरी, नाबालिग लड़कियों के लिए सरकार की योजनाएं और बाल विवाह का गैर कानूनी होने तथा इसके नुकसान पर सशक्त सार्वजनिक संदेश इस बदलाव के अन्‍य कारण हैं।
बाल विवाह, समाज की जड़ों तक फैली बुराई, लैंगिक असमानता और भेदभाव का ज्वलंत उदहारण है। यह आर्थिक और सामाजिक ताकतों की परस्पर क्रिया-प्रतिक्रिया का परिणाम है। जिन समुदायों में बाल विवाह की प्रथा प्रचलित है वहां छोटी उम्र में लड़की की शादी करना उन समुदायों की सामाजिक प्रथा और दृष्टिकोण का हिस्सा है। इस आयोजन के दौरान विद्यालय के सहायक अध्यापक संदीप यादव, घनश्याम यादव, अमित चौधरी, उत्तम कुमार तथा छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहें।

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