दुदही खंड के गौरी श्रीराम में हाट बाजार की जमीन पर मंदिर निर्माण होने से बेरोजगार हुवे स्थाई व्यवसाईयो के बाद अब ठेले खेमचे वाले भी बेरोजगारो के फेहरिस्त में शामिल हो गए है।दरअसल,गौरी श्रीराम में गाटा संख्या 13 77 की भूमि हाट बाजार के नाम पर है,जिसमे सैकड़ों छोटे छोटे दुकानदार ठेले खेमचा लगा कर अपना और अपने परिवार का जीविका चला रहे थे। हाट बाजार की जमीन के आंशिक हिस्से में ही मंदिर अवस्थित था लेकिन बाद में मंदिर के आड़ में दुकानों को तोड़ कर अतिथि भवन का निर्माण कराया गया तथा चारदीवारी का निर्माण कर हाट बाजार के सम्पूर्ण जमीन को मंदिर परिसर में सम्मिलित कर लिया गया। हाट बाजार की उक्त भूमि को खाली कराने के लिए व्यसायी मंडली के द्वारा भृगरासन गुप्ता के नेतृत्व में एसडीएम डीएम,तहसीलदार से गुहार लगाया गया लेकिन आस्था पर प्रशासन बौना साबित हो गया।अंत: व्यसायी मंडली इस मामले को लेकर उच्च न्यालय पहुंचा है जिसकी सुनवाई जारी है।और कयास लगाया जा रहा है की जल्द ही फैसला व्यसायी मंडली के पक्ष में आ सकता है।इधर मंदिर निर्माण के बाद सैकड़ों दुकानदारों के सामने रोजगार की संकट आ गई है,वे रोजी रोटी की खोज में दर बदर की ठोकरें खा रहे है।हालांकि मंदिर परिसर के बाहरी दीवार से सटे ठेले खेमचे वाले चाय,पकौड़ी,फलमून आदि की दुकान लगा रहे है जिनसे उनका जीविका चल रहा है लेकिन कुछ लोग खुद को मंदिर कमेटी का कथित सदस्य बता कर ठेले वाले दुकानदारों को वहा से हटाने के लिए आतुर है,ठेले खेमचे वाले दुकानदार सदमे में है।जिसे लेकर दर्जनों ठेले खेमचे वालो ने उप जिलाधिकारी को आवेदन देकर हाट बाजार की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने तथा उचित करवाई करने का गुहार लगाया है। दुकानदारों का कहना है कि मंदिर कमेटी के तथाकथित कार्यकर्ता दर्शन यादव,ओमप्रकाश बरनवाल, धर्मेद्र यादव,मिथलेश पटेल गवई राजनीति के कारण नहीं चाहते की ठेले और खेमचे लगा कर हम लोग दुकानदारी करे जबकि दिन बाहर दुकानदारी के बाद रात को वहा से ठेला खेमचा हटा दिया जाता है।बावजूद निजी स्वार्थों के कारण उक्त लोग हम लोगो को दुकानदारी करने से रोक रहे है।
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