सूर्य प्राकट्य उत्सव को लेकर बैठक में बनाई रणनीति
अमिट रेखा/ शमसाद अंसारी कसया/ कुशीनगर
कुशीनगर सूर्य मंदिर में पूर्वांचल महोत्सव के तत्वावधान में 31 जुलाई को सूर्य प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा। इसमें 151 नदियों के जल से भगवान सूर्य का जलाभिषेक होगा। इसमें देश के प्रमुख मठों और मंदिरों के मठाधीश शामिल होंगे।कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए आयोजन समिति के अध्यक्ष विनय राय ने तैयारियों का जायजा लेकर आयोजन समिति के सदस्यों के साथ विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की।
तुर्कपट्टी में स्थापित भगवान सूर्य की प्रतिमा जमीन से खुदाई के बाद प्राप्त हुई है। दंतकथाओं के अनुसार मौजूद मंदिर के स्थान पर पहले एक छोटा टीला था। विगत 30 जुलाई 1981 को यहां सोए सुदामा शर्मा को एक दिन स्वप्न आया कि टीले के नीचे भगवान सूर्य की मूर्ति है और 31 जुलाई को खुदाई की गई तो स्वप्न वाला मूर्ति प्राप्त हुई। यह मूर्ति काले नीलम पत्थर की है। इसका निर्माण काल उत्तर गुप्त काल बताया जाता है। मंदिर की महत्ता को देखते हुए पूर्वांचल महोत्सव समिति के अध्यक्ष विनय राय ने वर्ष 2023 से 31 जुलाई को सूर्य प्राकट्य उत्सव आयोजित करने की परंपरा शुरू की और देश विदेश की 131 नदियों के जल से जलाभिषेक कराकर महाभंडारा का आयोजन किया जायेगा। इसके पूर्व हजारों महिलाएं कलश लेकर कलश यात्रा में शामिल हुई थीं। इस बार यह आयोजन 29 जुलाई से वाराणसी का दक्षिण द्वार कहे जाने वालेशूलटंकेश्वर से 151 नदियों के जल के साथ कलश यात्रा शुरू होगी। मार्कण्डेय महादेव मंदिर, ऋषि दत्तात्रेय आश्रम, चंद्रमा ऋषि आश्रम, भवरनाथ, दुर्वाषा ऋषि आश्रम, धर्म नगरी अयोध्या और कबीर स्थली होते महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर पहुंचेगी। कुशीनगर में नारायणी नदी के तट पर स्थित अहिरौली दान से पुनः यह यात्रा शुरू होगी और तमकुहीराज, बनरहा मोड़, बरवा राजापाकड़, गुरवलिया होते हुए तुर्कपट्टी पहुंचेगी। कलश यात्रा में 2 हजार कन्याओं के शामिल होने की उम्मी
द है।
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