January 12, 2025

कुशीनगर में पडरौना शहर सहित बाजारों में सज गई लाई भुजा की दुकानें

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कुशीनगर में पडरौना शहर सहित बाजारों में सज गई लाई भुजा की दुकानें

मकर संक्रांति:

अमिट रेखा गोल्डेन कुशवाहा

पडरौना,कुशीनगर।। मकर संक्रांति के पर्व में गिनती के दिन ही रह गए हैं। इस पर्व पर परंपरा के रुप में प्रयोग किए जाने वाले लाई, चूरा, गुड़, ढुंढा, तिलवा आदि की मांग बढ़ गई है। इसको लेकर पडरौना शहर सहित जिले भर के कसबों बाजारों में इनकी दुकानें सज गई है। हालांकि इस बार इनके भाव में भी तेजी आई है लेकिन फिर भी लोग अपनी क्षमता के अनुसार खरीददारी कर रहे हैं।

मकर संक्रांति (खिचड़ी) पर परंपरा के अनुसार चूरा, दही, ढुंढा, लाई, तिलवा, बादाम पट्टी, तिलकुट, आदि खाने तथा दान पुण्य किया जाता है। इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को पड़ रही है। इस पर्व को लेकर हर क्षेत्र में बाजार गुलजार हो गए हैं। पडरौना शहर गुदरी सहित जिले भर में विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। लाई तथा चूरा की कई वेराइटियां उपलब्ध है।
प्लास्टिक के छोटे-बड़े पैकेटों में भी इसकी पैंकिंग की गई है। हल्के तथा मोटे दानों में उपलब्ध विभिन्न वेरायटियों की लाई की कीमत 50 से लेकर 60 रुपए प्रति किलो तक है। इसी प्रकार चूरा भी 40 से 50 रुपए प्रति किलो तक है। छोटे, बड़े तथा साफ दानों के गुड़ की कीमत भी 50 रुपए से लेकर 60 रुपए प्रति किलो तक है। तिलवा तथा तिलकुट आदि सामग्रियों की कीमत 160 रुपए से लेकर 250 तक के बीच है। इस समय दुकानों पर सुबह से लेकर देर शाम तक ग्राहकों की भीड़ जुट रही है। पडरौना शहर के गुदरी बाजार के व्यवसाई मोहित गुप्ता ने बताया कि इस बार भाव में दस से लेकर 15 रुपये तक का इजाफा हुआ है।

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भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करे ही समाप्त हो जाता है,खिचड़ी पर्व, समाप्त हो जाता है खरमास

 

पडरौना,कुशीनगर। मकर संक्रांति (खिचड़ी) पर भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसके साथ ही खरमास समाप्त हो जाता है जिससे शुभ कार्य होने लगते हैं। हिंदू धर्म में इस पर्व को काफी महत्व दिया जाता है। इस पर्व पर गंगा स्नान के बाद पंडितों को चूरा, लाई, चावल, गुड़, तिलवा आदि दान दिया जाता है। सुबह घरों में चूरा, गुड़, दही, चोखा तथा शाम को खिचड़ी खाई जाती है। गांवों की महिलाएं तथा युवतियां खेतों में जाकर चना, मटर आदि का साग भी खाने पर जोर देती हैं। घरों की बहू-बेटियों को भी उनके मायके या ससुराल में सगुन के रुप में खिचड़ी पहुंचाने की परंपरा है। इसमें लाई, चूरा, गुड़, ढुंढ़ा, साथ ही साड़ी, कपड़ा आदि दिया जाता है। इसके बाद सगुन पहुंचाने का काम शुरु हो जाता है।

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भुजा भुजवाई पर दे रहे जोर

 

पडरौना,कुशीनगर। पडरौना शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भुजा भुजवाने वालों के यहां लोगों की भीड़ लग रही है। इसके लिए पडरौना शहर के गुदरी बाजार सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भुजा भुजवाने वालों के यहां लोगों की भीड़ लग रही है। भीड़ को देखते हुए भुजा भुजने वाले दुकानदार लोगों को बारी-बारी से नंबर लगाकर भुजा भुजते नजर आ रहे हैं।

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