July 27, 2024

हाईकमान के आदेश पर बीजेपी के कद्दावर नेता जनता के बीच जाकर 2022 की लड़ेंगे चुनाव

Spread the love

योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य, डॉ दिनेश शर्मा काविधानसभा क्षेत्र का चुनाव लड़ने के लिए चयन प्रक्रिया शुरू की।
सभी कशावर नेता होंगे 2022 के मैदान

बीजेपी के दिग्गज किस सीट से आजमाएंगे किस्मत

अमिटरेखा—– कृष्णा यादव तहसील प्रभारी
तमकुही राज—– कुशीनगर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब चंद महीने का वक्त बचा है. बीजेपी ने सूबे की सत्ता में बने रहने के लिए 2022 के चुनाव में साढ़े तीन सौ सीटें जीतने का टारगेट रखा है. इस लक्ष्य को हासिल करने के​ लिए बीजेपी के केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व की ओर से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, रणनीतियां बन रही हैं और सियासी समीकरण साधे जा रहे हैं. ऐसे में बीजेपी ने अपने तमाम दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारकर आसपास की सीटों को सियासी तौर पर प्रभावित करने की रणनीति बनाई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर डिप्टी सीएम केशव मौर्य और दिनेश शर्मा सहित बीजेपी के दिग्गज नेता इस बार चुनावी अखाड़े में उतरने के लिए अपनी-अपनी सीट की तलाश शुरू कर दी है. पिछली बार ये तीनों नेता चुनाव लड़ने के बजाय बीजेपी के सत्ता के वनवास को खत्म करने के लिए मशक्कत कर रहे थे लेकिन इस बार हाईकमान के परमान पर खुद चुनावी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।
अयोध्या से उतर सकते हैं सीएम योगी-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 2022 के विधानसभा चुनाव में अयोध्या सीट से ताल ठोक सकते हैं. अयोध्या में चुनाव लड़ने की उनकी चर्चाएं तेज हैं. ऐसे में अयोध्या से अगर किसी कारणवश वो चुनाव नहीं लड़ते हैं तो दूसरी सीट उनके गृह जनपद की गोरखपुर सीट हो सकती है. ऐसे में देखना होगा कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या और गोरखपुर में से किस सीट से चुनाव के लिए ताल ठोकते हैं?
बता दें कि मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी आदित्यनाथ गोरखपुर संसदीय सीट से पांच बार सांसद रहे हैं और गोरखनाथ मंदिर के महंत भी हैं. इस तरह से योगी खुद के साथ-साथ आसपास की सीटों को प्रभावित करते रहे हैं. वहीं, अयोध्या से बीजेपी के मौजूदा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता भी कह चुके हैं कि यह मेरा सौभाग्य होगा कि मेरी सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ेंगे. मैं अपनी सीट खुशी से खाली करने को तैयार हूं।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से चुनावी किस्मत आजमा सकते हैं. केशव प्रसाद मौर्य सिराथू के ही रहने वाले हैं. यहां की जनता ने 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पहली बार जिताकर विधानसभा भेजा था और 2014 में फूलपुर से सांसद बन गए थे. इसके बाद 2017 में बीजेपी ने उनकी अगुआई में चुनाव जीता तो सूबे में डिप्टी सीएम बने और बाद में एमएलसी बन गए थे।वहीं, अब बीजेपी ने सभी कद्दावर नेताओं को 2022 के विधानसभा चुनाव में चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है तो एक बार फिर से उनके सिराथू से चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज हो गई हैं और हाल ही में डिप्टी सीएम ने सिराथू क्षेत्र का दौरा तेज कर दिया है. ऐसे में देखना है कि केशव मौर्य सिराथू से चुनाव लड़कर आसपास की सीटों को किस तरह से प्रभावित करते हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा के लखनऊ पश्चिमी विधानसभा सीट और लखनऊ कैंट सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं. डिप्टी सीएम बनने से पहले दिनेश शर्मा लखनऊ के मेयर रह चुके हैं. ऐसे में उनका सियासी प्रभाव राजधानी में है. 2017 के विधानसभा चुनाव में शर्मा बीजेपी को जिताने की अहम भूमिका अदा करने वाले नेताओं में शामिल थे, जिसके चलते उन्हें सत्ता में आने पर डिप्टी सीएम बनाया गया था. हालांकि, इस बार बीजेपी उन्हें सियासी रण में उतारकर लखनऊ की सीटों पर लाभ उठाना चाहती है।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह वैसे तो पार्टी को चुनाव लड़ाने का काम करेंगे, लेकिन फिर भी एक सुरक्षित सीट की तलाश शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि बुंदेलखंड में किसी सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं, जिसके लिए कालपी सबसे बेहतर मानी जा रही है. इसके बाद जनपद की दूसरी सीट माधौगढ़, कानपुर देहात की भोगनीपुर और झांसी भी इस सूची में शामिल है, जहां से उनके चुनाव लड़ने की संभावना तलाशी जा रही है।
2017 के चुनाव में स्वतंत्रदेव सिंह बीजेपी के रणनीतिकारों की फेहरिस्त में शामिल थे. पीएम मोदी की रैली की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी. उनका सियासी प्रभाव बुंदेलखंड में है. ऐसे में बीजेपी उन्हें बुंदेलखंड का एंट्री गेट माने जाने वाली कालपी सीट से उतार सकती है. यहां से उतरकर उन पर क्षेत्र की सभी 19 सीटों पर बीजेपी को जिताने की जिम्मा होगा. इसी तरह कैबिनेट मंत्री डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह को भी प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से मैदान में उतारने की तैयारी है. महेंद्र सिंह भी योगी सरकार में मंत्री हैं और वो एमएलसी हैं।