ग्रामीणों ने कमरे आलम के साथ भोला की राजनीति को किया चित
हिन्दू मुश्लिम एकता का प्रतीक बना ग्राम सभा मेदीपट्टी
मंदिर अध्यक्ष सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव के भाई ग्राम प्रधान के उपचुनाव में 133 मतों से विजयी हुए- ग्रामीणो में छाई रही खुशी की लहर
अमिट रेखा देवरिया/पथरदेवा। विकास खण्ड पथरदेवा के ग्राम सभा मेदीपट्टी में स्वर्गीय गिरजा प्रसाद श्रीवास्तव के मृत्यु के बाद दिनांक 19 फरवरी 2025 को ग्राम प्रधान का उपचुनाव हुआ। इस चुनाव में पूर्व ग्राम प्रधान स्वर्गीय गिरजा प्रसाद श्रीवास्तव के सुपुत्र उपेंद्र लाल श्रीवास्तव के द्वारा पर्चा भरा गया था। एवं इसी ग्राम सभा से विपक्ष के रूप में पंकज राय उर्फ भोला के द्वारा भीं पर्चा भरा गया था। जिसको लेकर शान्ति पूर्वक मतदान 19 फरवरी को प्रशासन की देख रेख में सम्पन्न हुआ। तथा मतों की गिनती आज दिनांक 21 फरवरी को की गई। जिसमें नर्मदेश्वर महादेव मंदिर के अध्यक्ष समाजसेवी सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव के छोटे भाई उपेंद्र लाल श्रीवास्तव 133 मतों से अपने विपक्ष से लड़े पंकज राय को चुनावी संग्राम में चित कर दिया। जैसे ही इसकी सूचना ग्राम सभा के लोगो को हुई ग्रामीण खुशी से झूम उठे। तथा श्रीवास्तव परिवार को माला पहनाकर जीत की बधाई देते हुए बाजार से लेकर गाव तक का भर्मण किये इस दौरान समाजसेवी सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव ने सभी ग्रामीणो का आभार व्यक्त किया तथा धन्यवाद दिया।
*कैसे ग्रामीणों ने कमरे आलम के साथ भोला राय के राजनीत को किया चित?*
19 फरवरी 2025 मतदान के दिन ग्रामीणों में चर्चा रही की मेंदीपट्टी का वह पावन धरती जिसकी सोहरत को पूरे दुनिया मे फैलाने का कार्य स्वर्गीय गिरजा प्रसाद श्रीवास्तव के बड़े पुत्र मंदिर अध्यक्ष सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव के द्वारा किया गया। ग्रामीण जनता इस बात को भली भांति जानती थी कि लाला का परिवार लुटेरा नही बल्कि दानी है। जिसने ग्राम सभा से कुछ लिया नही बल्कि दिया है। चर्चा रही कि मतदान के दिन हिन्दू और मुश्लिम वर्ग के लोग इकट्ठा हो गए तथा बचे शेष लगभग 1 साल की गाव की राजनीति को पुनः सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव के घराने में देने का फैसला कर लिया। ग्रामीणों ने पूर्व ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रहे कमरेआलम की भी बात को मुश्लिम वर्ग के लोगो के द्वारा टाल दिया गया तथा सीधा वोट उपेंद्र लाल श्रीवास्तव के खाते में जाता रहा। उस दिन चर्चा यह भी रही कि जब इस बात की भनक पूर्व ग्राम प्रधान प्रतिनिधि कमरे आलम को हुई तो वह चुनाव के दिन लगभग 11 बजे सलेंडर बोल गए। और श्रीवास्तव परिवार में पड़ रहे मुश्लिम वोटो में प्रतिस्पर्धा दिखाते हुए अंदर ही अंदर बधाई दे डाला। जानकारी के मोताबिक़ पंकज राय उर्फ भोला राय का सारा पावर कमरे आलम रहे परन्तु हिन्दू मुश्लाम की एकता बनते देख कमरे आलम मतदान मैदान से दूर हो गए। फिर ग्रामीणों ने बिना किसी दर दबाब में श्रीवास्तव परिवार को चुनते गए। और नतीजा यह हुआ कि आज मतगणना में 1079 मतों की गिनती हुई जिसमें 133 मत अधिक पाकर उपेंद्र लाल श्रीवास्तव विजयी घोषित हो गए। जीत सुनिश्चित होने के बाद ग्रामीणों में यह भी चर्चा रही कि कमरे आलम आने वाले भविष्य के चुनाव में सुरेन्द्र लाल श्रीवास्तव के साथ हिन्दू मुश्लिम एकता को कायम रखते हुए अपने स्पोर्ट में एक मजबूत पाव खड़ा कर ली। कुछ ग्रामीण दबे जुबान चर्चा कर रहे थे कि अगर भोला राय विपक्ष के रूप न खड़ा हुए होते और यह उप चुनाव निर्विरोध हुआ होता तो भोला राय का अगला भविष्य सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव के पास सुरक्षित रहता तथा चुनाव में श्रीवास्तव परिवार का पूरा बल मिलता, सूत्र बताते है कि गाव की राजनीति से सुरेंद्र लाल दूर रहना चाहते है। परन्तु द्वेष की भावना ने उप चुनाव में भोला राय को गाव की राजनीति करने पर कलंक लगा दी। सूत्र यह भी बताते हैं कि पिता की मौत सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव को किसी सदमे से कम नही था क्योकि उनके पिता ग्राम प्रधान के कुर्सी पर विराजमान थे। परन्तु ईश्वर ने इस दुःख की घड़ी में उनको गाव में घूमने पर मजबूर कर दिया तथा इस घडी में जहां उनके परिवार के साथ प्रत्यासी को प्रेम दिखाते हुए सदभाव रखकर सहारा बनाना था वही गाव में उनका विरोध कर चुनौती दे डाली। इस दिन को श्रीवास्तव परिवार आजीवन याद करते हुए आने वाले चुनाव में राजनीति की ऊची खेल खेलेगा।उपर्युक्त बातों की चर्चा चरम पर बनी रही। सूत्र संवाद