राजनीति का रंग भी बड़ा अजीब होता है…

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राजनीति का रंग भी बड़ा अजीब होता है…
Editor December 15, 2020 1 min read

अमिट रेखा से मुनीर आलम

बृजमनगंज: चुनावी माहौल गर्म है, बयानबाजियों का दौर भी तेज हो चला है, नेता रैली जोर पकड़ चुकी है और जनता की अदालत में नेताओं की अग्निपरीक्षा का वक्त आ गया है। ऐसे चुनावी माहौल में भला शायरी की याद न आए ये कैसे हो सकता है। शायरी भी ऐसी जो चुनावी माहौल में और रस घोल दे। तो आइए आपको बताते हैं ऐसी ही कुछ शायरी जो आपको आज के हालातों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दे।
राजनीति ने आकर-नेताओं को क्या-क्या सिखा दिया बड़े-बड़े से नेता को भी जनता के क़दमों पर झुका दिया
राजनीति में साम-दाम-दंड-भेद सब अपनाया जाता है जरूरत पड़े तो दुश्मन को भी दोस्त बनाया जाता है
राजनीति का रंग भी बड़ा अजीब होता है वही दुश्मन बनता है जो सबसे करीब होता है
जिन्दा रहे चाहे जान जाएं वोट उसी को दो जो काम आएं
बदल जाओ वक्त के साथ या फिर वक्त बदलना सीखो मजबूरियों को मत कोसो हर हाल में चलना सीखो
 

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