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पूरनलाल चौधरी की पुस्तक शिक्षक संगम छप कर तैयार

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पूरनलाल चौधरी की पुस्तक शिक्षक संगम छप कर तैयार 

 

बेसिक के शिक्षकों ने लिखी अपनी आत्मकथाएं

 

अमिट रेखा/संजय कुमार/गोरखपुर

 

बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों ने अपनी शैक्षिक यात्रा को लिपिबद्ध करने के उद्देश्य से अपनी आत्मकथा लिखी,और कई शिक्षकों ने मिलकर इसको एक पुस्तक का रूप प्रदान किया है जो कि शिक्षक संगम के रूप में बनकर तैयार है। इस पुस्तक को बहराइच के शिक्षक पूरनलाल चौधरी ने संकलित किया है। जिसमें उत्तर प्रदेश एवं झारखंड के शिक्षकों ने अपनी आत्मकथा में शिक्षक के रूप में अपनीजीवन यात्रा का वर्णन किया है। यह सभी शिक्षक अपने-अपने जनपदों में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। पूरन लाल चौधरी ने इस पुस्तक में 33 शिक्षकों की आत्मकथाओं का संकलन किया है। मुनव्वर मिर्जा श्रावस्ती से संजीव कुमार शर्मा अलीगढ़, राजेश सिंह अमेठी, ओम प्रकाश सिंह लखीमपुर खीरी, अमिता त्रिपाठी संत कबीर नगर आदि राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं। इनके अतिरिक्त जनपद अमरोहा से भूपेंद्र सिंह, सुनील कुमार सहारनपुर, विपिन त्रिपाठी फतेहपुर,संजय कुमार यादव बलिया, रामलाल सिंह यादव भदोही, रमेश चंद्र जायसवाल वाराणसी,अजीत कुमार सिंह बलिया,अजीत सिंह गोण्डा संगम वर्मा लखीमपुर खीरी, रिंकू कुमार बरेली, शालिनी सक्सेना बरेली, रेनू कुमारी त्रिपाठी इटावा, रामजी शर्मा इटावा, शैलजा राठौर मैनपुरी, कुसुम कुमारी बलरामपुर, मोहम्मद सलीम अख्तर बुलंदशहर, प्रवीण कुमार द्विवेदी सोनभद्र,शाइस्ता परवीन कानपुर नगर, पुष्पेंद्र सिंह हाथरस,राजीव भटनागर बदायूं, अलका गुप्ता झांसी, संगीता यादव मऊ, अनामिका सिंह सिद्धार्थनगर, के अतिरिक्त जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ से थानू राम साहू एवं जनपद बहराइच से नवल कुमार पाठक, विनोद कुमार सिंह विशाल गांधी ने भी इस पुस्तक में अपनी शैक्षिक यात्रा का वर्णन किया है। मुजफ्फरपुर बिहार के एम एस केसरी पब्लिकेशन सीखने इस पुस्तक को प्रकाशित किया है। लेखक पूरनलाल चौधरी ने बताया कि इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इस पुस्तक के लेखकों ने शिक्षक बनने से पूर्व उन्होंने किन परिस्थितियों का सामना किया शिक्षा ग्रहण करने से शिक्षक बनने तक का संघर्ष एवं शिक्षक बनने के बाद चुनौतियां एवं परिस्थितियों का किस प्रकार से उन्होंने सामना किया है। वास्तव में एक प्रेरणादाई विचारों का समागम इस पुस्तक के अंदर विद्यमान है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस पुस्तक के लेखकों ने जनपद स्तर से राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त किए हैं। पूरनलाल चौधरी ने सभी शिक्षक लेखकों का आभार एवं धन्यवाद प्रकट किया एवं उन्होंने बताया कि इस पुस्तक का सेकंड पार्ट बहुत शीघ्र ही प्रकाशित किया जाएगा जिसमें अन्य शिक्षक अपनी आत्मकथा का उल्लेख करते हुए नजर आ

एंगे।

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