सद्दाम हुसैन
रवलिया बाजार।
जुबां पर अमन के तराने और हथेलियों में दुआओं की शक्ल हो तो पैगम्बर हजरत मोहम्मद की आमद का दिन और खास हो जाता है। क्योंकि यही इस्लाम की ताकत और पहचान है। उक्त बातें गुरवालिया मस्जिद के इमाम मौलाना यासीन अंसारी ने कही। वह रविवार की सुबह गुरवालिया से ईद मिलादुन्नबी के जुलूस को रवाना कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस्लाम इंसानियत, हक-हकूककी हिफाजत का नाम है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए 571 ईसवी की तीसरी ईद अर्थात बारह तारीख अव्वल को हजरत मोहम्मद की पैदाइश हुई थी। मौलाना ने सभी से देश की एकता और अखण्डता को मजबूत करने के साथ आपसी सौहार्द को और मजबूत करने पर बल दिया। इसी प्रकार सेमरा हर्दो पट्टी, मठिया, बंजारा पट्टी, सपही, खालवा पट्टी, में हजरत मोहम्मद की पैदाइश की खुशी में भब्य जुलूस निकाला गया। जब जलूस गुरवालिया पहुंचा तो गुरवालिया व्यापार मंडल अध्यक्ष विनोद यादव ने मस्जिद के इमाम मौलाना यासीन को फूलों की माला पहनाकर सम्मान किए। और जुलूस में शामिल लोग हाथों में इस्लामी झंडा के साथ तिरंगा ले रखे थे। और नबी के नारे लगा रहे थे। जुलूस गुरवालिया मस्जिद से होता हुआ। नोनिया पट्टी, करमैनी, उजारनाथ, पकड़ी, राजा पाकड़ गुरवलिया बाजार आकर जुलूस समाप्त हुआ। रास्ते में फूलों से, चमकीले कागजों से, झंडा, पतंगियों क्षेत्र को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। जगह जगह जलपान की भी व्यवस्था की गई थी । जुलूस में बच्चे, बुजुर्ग, नौजवान सभी शामिल हुए। नोनिया पट्टी में मौलाना यासीन ने नात पढ़कर चार चांद लगाया। जुलूस के समाप्ति स्थल पर मुनीब अहमद, मौनुद्दीन अंसारी, नियाज़ कौशर, असगर अली, मजनू अली, अलहम अली, नियमत अली, कयामुद्दीन, मो0 शहीद ने मोहम्मद साहब के विचारों के साथ समाज में एकता का संदेश दिया। इसमें मुख्य रूप से मौलाना हसमुद्दीन अंसारी, इशू अंसारी, शरीफ, शकूर मंसूरी, नियमत मंसूरी, गुड्डू, गुड्डू कुमार, सद्दाम हुसैन,तबरेज हुसैन आदि उपस्थित रहे।
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