– लेहड़ा वाली मां सबकी मनोकामना करती है पूर्ण
अमिट रेखा सुनील पांडेय
ब्यूरो महराजगंज मंडल प्रभारी।
पूर्वांचल के शक्तिपीठों में प्रसिद्ध आद्रवासिनी माता लेहड़ा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। मां के दरबार में श्रद्धालु दूर दूर से पहुंचते है। यहां पूरे वर्ष भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्र के दिनों में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ता है।
फरेंदा तहसील से 9 किलोमीटर की दूरी पर पवह नदी (नाला) के तट पर स्थित शक्तिपीठ माता आद्रवासिनी लेहड़ादेवी का यह मंदिर वनों से आच्छादित क्षेत्र में स्थित है। यहां श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने पर देवी मां को नारियल और चुनरी चढ़ाते है।
जानकारी के अनुसार मां लेहड़ा देवी मंदिर का ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। महाभारत काल में पांडवों ने इस क्षेत्र में वक्त गुजारा था। इतिहास के पन्नों में दर्ज मंदिर की पूरी कहानी में बहुत सारे रोचक तथ्य हैं। पुराने समय में यह स्थान आर्द्र वन नाम के जंगल से घिरा हुआ था। पवह नदी के तट पर मां वनदेवी दुर्गा का मंदिर है। मान्यता है कि अरदौना देवी के मंदिर की स्थापना महाभारत काल में पांडवों के अज्ञातवास काल में स्वयं अर्जुन ने की थी।
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