कसया पुलिस के सहयोग से कुशीनगर में सेक्स टूरिज्म विकसित-सूत्र
माथाकुवर बाबा को माथा टेकने आते बिदेशी बौद्ध सैलानी
अमिट रेखा/हरी कृपा प्रारसाद /धेश्याम शास्त्री,/कुशीनगर
कुशीनगर में देह-ब्यापार का गोरख धंधा कामरेखा एवं होटल दलालों के आय का प्रमुख केंद्र बना हुवा है धनीबर्ग एवं पुलिसवर्ग द्वारा प्रस्तू विलासिता,आत्मनिरति तथा छिछोरेपन से आय का सेक्स टूरिस्म के रूप में विकसित किया है जो समाज के लिए कोढ़ है सामाजिक एवं प्रतिष्ठित लोग उन होटलों के आस पास जाना तो दूर देखना भी पसंद नहीं करते है हर वर्ष हर मौसम में माथाकुवर बाबा को माथा टेकने कुशीनगर में श्रीलंका भूटान वर्मा चीन जापान इत्यादि बिदेशी सैलानियों का आना जाना लगा रहता है꘡
मिली जानकारी के मुताबिक कुशीनगर विदेशी सैलानियों के लिए आस्था का केंद्र बौद्ध नगरी के रूप में विकसित है꘡ विभिन्न देशो के पर्यटक इस नगरी के दर्शनार्थ पवित्र मंदिरों पवित्र भेशभूषा में सभी अनुकूल मौसमो में आते रहते है, सूत्रों का कहना है कि इस बौद्ध नगरी देह ब्यापार में कुवारी लड़की/महिला/स्त्रि कोढ़ी आश्रितों कि क्षुधा कि ज्वाला शांत करने के लिए विवस कराकर इस वृति में धकेला जाता है꘡कुशीनगर में ऐसे तमाम ऐसे जगह है जहा शाम सुबह लगती है जिश्म कि मंडिया, किसी महिला को पैसे देकर उसकी आबरू का सौदा करता है और ओ महिलाए चन्द रूपये के खातिर अपना तन न्योछौर कर देती है꘡जिविका पार्जन के अन्य साधनों के अभाव तथा अन्य कार्यो के अत्यंत श्रम साध्य एवं अल्वैतनिक होने के कारण कोढ़ी लोग देह-ब्यापार कराते एवं उसका पैसे का उपयोग करते है,सूत्र बताते है कि कसया थाना परिक्षेत्र में ऐसे सैकड़ो होटल,ढाबा,लॉज है, जहां कि रक्षा करते है सफेदपोश꘡और होती है लाखो,करोड़ो कि कमाई, किये जाते है पैसे का बन्दर बाट꘡सुत्रो कि माने तो कसया थाने में कुछ ऐसे पुलिस कर्मी है जो अपने कमाई का यह प्रमुख जरिया बना रखे है यही वजह है कि किसी दुसरे जनपद या कुशीनगर जनपद के दुसरे थानों में तबादला होने पर ट्रांफर जगह पहले तो जाते नहीं चले जाने पर पुनः इसी जनपद में ट्रासफर कराकर अंगद कि तरह संत्री,वैत्री,व उची पहुच के बल पर पाव जमाये बैठते है और इन कामरेखावो को समय-समय पर सुरक्षा भी प्रदान करते है, यहाँ पर यूपी,एवं बिहार गोरखपुर,बस्ती,महराजगंज,सिद्धार्थ नगर,आजमगढ़,मउ,बलिया जौनपुर,सिवान,गोपालगंज,पूर्बी चंपारण,पंछिमी चंपारण सहित बिभिन्न जगहों के महिला एवं पुरुष-सोहदे वासना पूर्ति के लिए मडराते रहते है ꘡
जिस प्रकार वेश्यावृती कराने वाले, आलोचना का सिकार होते है,नारी द्वारा किसी चीज कि अपेक्षा लेकर किया जाने वाला देह-ब्यापार,वेश्यावृती कहलाता है ,वेश्यावृती समाज का कोढ़ है,परन्तु वेश्यावृती की समाज को इतनी ही जरुरत है, जितनी शहर के रईस जादो/ब्यक्ति जो पैसो के लिए यौन सम्बन्ध या अन्य यौन क्रिया में संलिप्त है꘡वैसे तो रईसजादो द्वारा मासूम लडकियों को जबरदस्ती कामरेखा बना दिया जाता है.कुशीनगर स्थानीय सूत्रों का कहना है कि हम लोग इस देह व्यवसाय जैसे घृरित कार्यो को देख-देख कर आजिज हो चुके है आखिर में इसका कबतक होगा निराकरण कौन होगा इसका रास्ता दिखने वाला कौन है इसका जिम्मेदार ꘡
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