अमिट रेखा लार देवरिया
देश के सामने कही एक और विषम परिस्थिति न पैदा हो ईसके लिये गम्भीरता से विचार करना जरूरी है जहाँ बच्चो को टीवी पास से ना देखने की सख्त हिदायत दी जाती है वही स्कूल मे मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध रहता है वही आज छोटे बच्चों के हाथो में ऑनलाइन क्लास हेतु मोबाइल पकड़ा दी जाती है मोबाइल या लैपटॉप पर पढ़ाई करने का असर बच्चों की आंखों पर पड़ रहा है जो कि अब चिंता का सबब बनता जा रहा है बच्चों में स्मार्टफोन टैबलेट आईपैड और लैपटॉप की वजह से मानसिक विकास प्रभावित होता है जिसकी वजह से कई अभिभावक की नींदें उड़ गई हैं तो वही उनकी मजबूरी भी है आज डॉक्टर ज्ञानेंद्र बरनवाल ने कहा है कि मोबाइल लैपटॉप व टैबलेट का ज्यादा उपयोग बढ़ गया है जिससे स्क्रीन टाइम बढ़ने से आंखों पर इसका असर पड़ने का खतरा है कहा कि जहां माता पिता अपने बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहते हैं वहीं ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों को मोबाइल दिया जा रहा है
ज्यादा तर देखने को मिल रहा है कि छोटी सी उमर में बच्चों की आंखों पर चश्मा लग रहा है तो वही आंख की रोशनी कम करने की नयी पहल ऑनलाइन पढ़ाई परीक्षा और कोचिंग वो भी एक या दो घंटे नहीं बल्कि 5 या 6 घंटे लगातार बच्चों को स्मार्टफोन टैबलेट आईपैड और लैपटॉप से गुजरना पड़ रहा है जो चिंता का विषय है ऐसे में हमारी सरकार विद्यालय संचालक शिक्षक और अभिभावक समय रहते विचार और समाधान नहीं किया तो छोटे बच्चों के आंखो पर चश्मा लगना तय है साथ ही बच्चें अवसाद से भी ग्रसित होगे बरनवाल जी ने भारत सरकार से अपील किया है कि इस मामले पर भारत सरकार और प्रदेश सरकारें बच्चों के आंखो पर दुष्प्रभाव ना पड़े गंभीरता से लेते हुए विचार करे ताकि आने वाली हमारी पीढ़ी को बचाया जा सके ।
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