अमिट रेखा सवांदाता
राज पाठक
कसया/कुशीनगर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का शनिवार को कुशीनगर स्थित बिरला धर्मशाला में गुरु दक्षिणा कार्यक्रम संपन्न हुआ।इसमें तमाम आरएसएस पदाधिकारी और स्वयं सेवक मौजूद रहे। उन्होंने अपने विचार से मौजूद लोगों को अवगत कराया।इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज राष्ट्र जिन परिस्थितियों से गुजर रहा है,उसका समाधान आरएसएस की शाखा ही है,क्योंकि प्रजातंत्र की सफलता प्रबुद्ध नागरिक के कंधों पर होती है।
इस देश के नागरिकों को प्रबुद्ध बनाने व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण का काम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने स्थापना काल 1925 से ही करते आ रही है।जनमानस में यह विचार आता है कि युग पुरुष बलराम हेडगेवार यदि संघ की स्थापना नहीं किए होते तो,आज देश की स्थिति कुछ और होती,संघ अपनी शाखा के माध्यम से अपने स्वयंसेवकों के जिन गुणों को उतारना चाहती है,उसमें यह धरती हमारी मां है,इस पर बसने वाले जितने भी लोग हैं सभी हमारे बंधु बांधव हैं,इस धरती पर पेड़-पौधे, पशु पक्षी सब एकत्व भाव से हममें समाहित है। हिन्दुओं का यही परम वेदांत दर्शन भी है।संघ यह मानता है कि जब तक देश में आदर्श से प्रेरित नैतिक व्यक्तित्व की पृष्ठभूमि नहीं बनती है तबतक हम इसको पुन: विश्वगुरु के सिंहासन पर नहीं बैठा सकते।इस दौरान सभी लोगों यथाशक्ति अनुसार गुरु दक्षिणा किया। व ऋषभ सिंह ने गीत प्रस्तुत किया,कोरोना महामारी के चलते सोशल डिस्टेंस का विशेष ध्यान रखा गया। मौके पर कुशीनगर विधायक श्री रजनीकांत मणि त्रिपाठी,दिवेंदू मणि त्रिपाठी,डा.सीएस,डॉक्टर शुभलाल,नवीन पांडे,पुनीत पांडे,ईओ नगरपालिका प्रेमशंकर गुप्ता,महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष चंद्रप्रभा पांडे,डॉ अनिल सिन्हा,अनिल शुक्ला,हैप्पी मिश्रा,दीप मिश्रा,महर्षि अरविंद विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य गोविंद चौबे,शैलेंद्र सिंह,वेद प्रकाश मिश्र,सचिन पाठक,ओम प्रकाश पाठक.सुनील पांडे,बलराम यादव,आकाश जयसवाल,सागर जयसवाल,अजय कुशवाहा,वीर प्रताप,दिनेश गुप्ता,केशव सिंह,समेत सभी लोग उपस्थित रहे।
सभी स्वयंसेवक वर्ष भर में 1 दिन अपने गुरु के दक्षिणा के रूप में अपनी श्रद्धा के अनुसार कुछ राशि परम पवित्र भगवा ध्वज को समर्पित करते हैं।
आपको पहले बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोई भी शुल्क या चंदा किसी भी माध्यम से नहीं लेता। वर्ष में एक बार होने वाले गुरुदक्षिणा की राशि से ही पूरे वर्ष का खर्च चलता है।
मुख्य खर्चे इस प्रकार हैं –
1-2900 से ज्यादा प्रचारक का खर्च
2-अनाथ बच्चों का पालन-पोषण
3-आपदाओं में अग्रणी भूमिका
4-आदिवासी क्षेत्र में गरीब विद्यार्थियों की पढ़ाई कपड़े किताब आदि का खर्चा
5-स्कूलों की स्थापना करना
6-संस्कृति की रक्षा करना आदि मुख्य खर्च होते हैं।
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