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शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है

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शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है
अमिट रेखा/सुभाष पटेल/मेंहदीगंज रामकोला/ कुशीनगर
जिले के रामकोला स्थित धर्मसमदा मां सती के मंदिर पर आज पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा के लिए भोर से ही लोगों का जन सैलाब उमड पड़ा तथा बहुत ही धैर्य और श्रद्धा भाव से लोगों ने माता स्कंदमाता की पूजा अर्चना की,,
तारकासुर नामक शक्तिशाली राक्षस था जिसने धरती पर बहुत अत्याचार किया था उसे ब्रह्मा से वरदान मिला था कि उसकी मृत्यु केवल शिव के पुत्र के द्वारा ही हो सके, जब उसका अत्याचार अशनीय हो गया तब मां पार्वती ने मां दुर्गा का रूप लिया,जिसे स्कंदमाता कहा जाता है,उन्होंने अपने पुत्र स्कंध भगवान(कार्तिकेय) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया इसके बाद कार्तिकेय ने तारकासूर का वध किया
1.तारकासुर का वरदान और अत्याचार तारकासुर ने ब्रह्मा जी से अमृतव का वरदान मांगा,लेकिन ब्रह्मा ने कहा की जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है,तब तरकासुर और वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु केवल भगवान शिव के पुत्र के ही हाथों हो उसे भ्रम था कि भगवान शिव विवाह नहीं करेंगे,इस गलत धारणा के कारण वह अत्याचार करने लगा
2. देवताओं की प्रार्थना तारकासुर के बढ़ते अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह तरकासुर से मुक्ति दिलाए
3. शिव विवाह और कार्तिकेय का जन्म देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया और उनके पुत्र भगवान स्कंद (कार्तिकेय)का जन्म हुआ
4. स्कंदमाता रूप का धारण जब स्कंदमाता(कार्तिकेय)बड़े हुए और तारकासुर का वध करने के सक्षम हुए तब माता पार्वती ने ममता में रूप स्कंदमाता धारण किया उन्होंने अपने पुत्र को युद्ध का प्रशिक्षण दिया,उन्होंने उसे साहस और शक्ति प्रदान की
5. तारकासुर का वध मां स्कंदमाता की आशीर्वाद और प्रशिक्षण के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया और धरती को उसके अत्याचारों से मुक्त किया
6. स्कंदमाता का महत्व
A. मातृत्व का प्रतीक देवी स्कंदमाता को मातृत्व का प्रतिनिधित्व करने वाली शक्ति माना जाता है
B, ज्ञान और चेतना उनकी पूजा कर से भक्तों को ज्ञान बुद्धि और चेतना प्राप्त होती ह
C. संतान प्राप्ति संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व है
D. मोक्ष का मार्ग उनकी कृपा से भवसागर पार करने और मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग सुलभ होता है
रामकोला स्थित धर्मसमदा माता सती के मंदिर पर पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा के लिए भक्तों का पूरे दिन ताता लगा हुआ था, तथा भक्तों ने धैर्य पूर्वक लाइन में लगकर मातास्कंद  की पूजा अर्चना की |
Rajan Pandey

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