भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, के सम्बन्ध में
अमिट रेखा /जितेंद्र तिवारी/ महराजगंज
जनपद महाराजगंज के समस्त थानों में स्थिति विभिन्न स्कूलों / कॉलेजों में एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम केंद्र सरकार द्वारा 1 जुलाई 2024 से लागू किए गए तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) – के प्रति छात्र-छात्राओं एवं आम जनमानस को जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।जागरूकता कार्यक्रम के तहत कॉलेज के छात्र-छात्राओं एवं शहरों/ ग्रामीणों की बड़ी संख्या भी उपस्थिति रही।
यह जागरूकता कार्यक्रम जनपद स्तर पर व्यापक रूप से चलाया जा रहा है,जिसका उद्देश्य ब्रिटिश कालीन कानूनों – भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) – को प्रतिस्थापित करने वाले इन नए कानूनों की विशेषताओं, प्रावधानों एवं उनके सामाजिक प्रभावों के बारे में लोगों को अवगत कराना है। जागरूकता कार्यक्रम में लगभग बड़ी संख्या में स्कूलों के बच्चों ने प्रतिभाग किया, कॉलेजों/स्कूलों के अधिक से अधिक छात्र-छात्राएं, स्थानीय ग्रामीण, व्यापारी एवं महिलाएं शामिल थीं। आयोजन का मुख्य केंद्र युवा पीढ़ी को कानूनी सशक्तिकरण प्रदान करना था, ताकि वे इन कानूनों के माध्यम से न्याय व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन का हिस्सा बन सकें।
समस्त थानों की टीमो द्वारा बताया गया कि, “ये नए कानून भारतीय न्याय व्यवस्था को औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त करते हुए आधुनिक, तकनीकी आधारित एवं नागरिक-केंद्रित बनाते हैं। भारत न्याय संहिता BNS-में अपराधों को परिभाषित करने के साथ-साथ समयबद्ध न्याय की व्यवस्था की गई है,
जागरूकता के क्रम में बताया गया कि BNS में कुल 358 धाराएं हैं, जिनमें 18 नए अपराध जोड़े गए हैं, जैसे संगठित अपराध, आतंकवाद तथा मॉब लिंचिंग। महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराधों पर कठोर प्रावधान है!
जबकि BNSS जांच एवं मुकदमे की प्रक्रिया को डिजिटल बनाकर तेजी लाता है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम BSA — के तहत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को मजबूत आधार प्रदान किया गया है, जो अपराध नियंत्रण में अच्छे स्तर पर बदलाव लाएगा।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता BNSS — पर चर्चा करते हुए बताया कि यह संहिता CrPC को बदलते हुए जांच प्रक्रिया को समयबद्ध बनाती है।FIR को 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करने का प्रावधान है, तथा 60 दिनों में आरोप तय करने की बाध्यता है। इलेक्ट्रॉनिक FIR, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही तथा फोरेंसिक जांच की अनिवार्यता (7 वर्ष से अधिक सजा वाले अपराधों में) जैसे प्रावधानों से न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) — के बारे में संबोधित करते हुए स्पष्ट किया गया कि BSA पुराने IEA को प्रतिस्थापित करते हुए डिजिटल साक्ष्यों – जैसे ईमेल, सोशल मीडिया पोस्ट तथा वीडियो रिकॉर्डिंग – को पूर्ण रूप से मान्यता प्रदान करता है।
सभी छात्रों व जनसामान्य से अपील किया गया कि वे इन कानूनों का अध्ययन कर जागरूक नागरिक बनें, ताकि अपराधों की रोकथाम में योगदान दे सकें।कार्यक्रम के दौरान इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों ने नए कानूनों से संबंधित प्रश्न पूछे गए जिसके बारे में समस्त थानों द्वारा विस्तार से बताया गया।
एनडीए की ऐतिहासिक जीत जनता के विश्वास की विजय— पंकज चौधरी अमिट रेखा/ जितेंद्र तिवारी…
साधन सहकारी समिति परतावल फिर हुई शुरू, किसानों को मिली बड़ी राहत अमिट रेखा /जितेंद्र…
बिहार में NDA सरकार की प्रचंड जीत पर सिसवा मे भाजपा नेताओं द्वारा पटाखा फोड़…
फूड-ओ-फेस्ट में चमकी बच्चों की प्रतिभा — सेंट जोसफ स्कूल में बाल दिवस हुआ यादगार…
एडी हेल्थ ने सीएम आरोग्य मेला का किया निरीक्षण अमित रेखा /संत राज यादव/सहजनवा गोरखपुर।…
बिहार विधानसभा चुनाव में राघवेंद्र प्रताप सिंह की जीत की खुशी में काटे गए केक…